लाँकडाउन के चलते घर में भी कांधे से कांधा नहीं मिलाते नमाज़ी
अफज़ल खाँन .पत्रकार
बदायूँ । रमज़ान मुबारक महीना बडे ही रहमतों और बरकतों का बाला मुबारक महीना माना जाता है। मगर देश में फैली कोरोना महामारी की वजह से लाँकडाउन की स्थिति में लोगो को घरों मे ही रहने की पाबंदी लगा दी गई है। मस्जिदें भी पूरी तरह बंद हैं। मस्जिदों से बस पांचों टाइम आज़ान की आवाज़े ही आती हैं। लोगो में मस्जिदों में नमाज़ नहीं होने का बड़ा अफसोस है। लोग अपने-अपने घरों में रहकर अल्लाह की इवादते कर रहे हैं। मगर लोगो में तराहबी और जुमें की नमाजें जमात के साथ मस्जिदों में नहीं पडने का बहुत अफ़सोस है।
रमज़ान मुबारक माह के महीने में लोग रोजे रखकर अपने-अपने घरो में ही अल्लाह की इवादतों में मस्त दिखाई दे रहे हैं। कोई कुरआन शरीफ की तिलावत करता दिखाई दे रहा है तो कोई नमाज़ अदा करता दिखाई देता है। मुस्लिम घर की महिलाएं तो इवादतों के बाद इफ्तार के पकवान बनाने में मस्त हो जाती हैं। और बच्चे भी महिलाओं के साथ इफ्तार के पकवानों में मस्त रहते है।
लाँकडाउन की स्थिति में अपने घरों में ही कैद लोग 15 घंटे रोजे का टाइम काटने के बाद इफ्तार की रस्म अदा कर अल्लाह से कोरोना के खातमें की दुआएं मागते है। लोगो का मानना है कि रोज़दार की दुआएं अल्लाह की वारगाह में जरुर कुबूल होंगी रमजान मुबारक माह के रोजों की बरकत से कोरोना महामारी का खातमा जरूर और जल्दी हो जायेगा ।